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अभ्यास :-6.1         नेल्सन की कृत्रिम श्वसन विधि का अभ्यास करना ।   आवश्यक सामग्री :-                                        दस्ताने , रबर मेट , साफ कपड़ा , आदि ।  कार्यविधि :- नेल्सन विधि कृत्रिम श्वसन  की एक तकनीक है जिसका उपयोग उस व्यक्ति को साँस दिलाने के लिए किया जाता है जो डूबने, बिजली के झटके , गैस के असर या दम घुटने से बेहोश हो गया हो और उसकी साँसें बंद हो गई हों।    जिसका उद्देश्य शरीर में ऑक्सीजन पहुँचाकर फेफड़ों को सक्रिय करना और साँस लेने की क्रिया को पुनः शुरू करना है  पीड़ित व्यक्ति  को उल्टा (पेट के बल) जमीन या किसी सपाट सतह पर लिटाया जाता है। पीड़ित का   चेहरा एक ओर किया जाता है जिससे की  मुँह और नाक से पानी या कोई रुकावट बाहर निकल सके     सहायक की स्थिति:       सहायक  पीड़ित  के कंधों के पास घुटनों के बल  बैठे   दबाव देना (Compression): दो...
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अभ्यास :- 6.0 दुर्घटनाग्रस्त  व्यक्ति के लिए बचाव व कृत्रिम श्वसन प्रक्रिया का अभ्यास करना।  आवश्यक सामग्री :-                                       दस्ताने , रबर मेट , साफ कपड़ा , कृत्रिम स्वसन यंत्र आदि ।  कार्यविधि :-                        दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को कृत्रिम स्वसन देने की निम्न विधियाँ है।     शेफर विधि -   इस विधि में,   पीड़ित को पेट के बल लिटाया जाता है, एक हाथ सिर के ऊपर की ओर और दूसरा हाथ कोहनी से मोड़ा हुआ होता है   । चेहरा बाहर की ओर मुड़ा होता है और अग्रबाहु पर टिका होता है। इस स्थिति में, नाक और मुँह साँस लेने के लिए स्वतंत्र होते हैं। उक्त प्रक्रिया को एक मिनट में 10-12 बार तब तक दोहराएं जब तक पीड़ित स्वयं स्वांस ना लेने लग जाये | सिल्वेस्टर विधि: रोगी को पीठ के बल लिटाया जाता है, तथा उसकी भुजाओं को सिर के ऊपर खींचा जाता है, जिससे श्वास अंदर आती है, तथा फि...

कार्यशाला का लेआउट तैयार करना

  अभ्यास क्रमांक- 1.2 शीर्षक :-           विद्युतीय कार्यशाला का परीचय विद्युत प्रदान के मुख्य स्विच के स्थान को पहचानना एवं कार्यशाला का ले आउट तैयार करना । आवश्यक सामग्री :-        ड्राइंग सीट , पेंसिल , स्टील स्केल , फीता टेप , सैट स्क्वायर ' सर्किल  मास्टर इत्यादि । क्रियाविधि :           1) सर्वप्रथम संस्था के विभिन्न विभागों   एवं कार्यशाला , पीने के पानी का स्थान तथा प्रसाधन आदि के बारे में जानकारी प्राप्त किया।           2) इसके बाद इलैक्ट्रीशिन ट्रेड व   सामान्य सुरक्षा जानकारी प्राप्त कर    कार्यशाला में प्रवेश किया ।           3) एक ड्राइंग शीट   पर कार्यशाला के फर्श   क्षेत्र का लेआउट तैयार किया जिसकी लंबाई चौडाई फिता टेप द्वारा नापकर लेखाउट में दर्शाया ।           4) विभिन्न प्रकार के मशीनी के बने फॉनडेशन पेनलबोर्ड   वर्कबेंच  इंट्री  पॉइट, एक्सीड पॉइट , एमरजेंसी exit...
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 विषय :01 इलेक्ट्रिशियन व्यवसाय में अवसर इलेक्ट्रिशियन व्यवसाय में कई अवसर हैं वे इमारतों , वितरण और पारेषण लाइनों और औद्योगिक उपकरणों के वायरिंग , मरम्मत और रखरखाव के लिए आवश्यक हैं।   विभिन्न सरकारी और निजी क्षेत्रों में कंपनियों और उद्योगों में काम कर सकते हैं। मुख्य रूप से रेल्वे के क्षेत्र मे    इसके अतिरिक्त , इलेक्ट्रिक वाहन ( EV) चार्जिंग स्टेशनों और सौर ऊर्जा के क्षेत्रों में बढ़ते अवसर हैं , जिससे यह एक मांग वाला पेशा बन गया है।     प्रमुख अवसर दिए गए हैं: ·        उद्योगों में रोज़गार: भवनों एवं इमारतों में वायरिंग स्थापित करना और मौजूदा वाइरिंग सर्किट आदि   की मरम्मत करना। वाहन आदि के   विद्युत वाइरिंग   की स्थापना , रखरखाव और मरम्मत में विशेषज्ञता।   बिजली के उपकरणों   के रखरखाव के लिए इलेक्ट्रिशियन की आवश्यकता होती है। इस्पात उद्योग में विद्युत मशीनों आदि   की इंसटोलेशन   और मरम्मत के कार्य । विशेष  क्षेत्र: ·         इलेक्ट...
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                                  मात्रक   * मात्राओं को व्यक्त करने के लिए एक वैश्विक मानक प्रणाली है जिनका उपयोग  विज्ञान, इंजीनियरिंग और व्यापार में व्यापक रूप से किया जाता है।  SI मात्रक :- अंतर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली  (International System of Units), माप की एक सुसंगत प्रणाली है जिसमें सात मूल इकाइयाँ शामिल हैं।                SI की मूल इकाइयाँ: SI प्रणाली में सात मूल इकाइयाँ हैं, और इन्हें ही SI मात्रक के नाम से जाना जाता है:   मीटर (m) :   लंबाई की इकाई। किलोग्राम (kg) :   द्रव्यमान की इकाई। सेकंड (s) :   समय की इकाई। एम्पीयर (A) :   विद्युत प्रवाह की इकाई। केल्विन (K) :   ऊष्मागतिक तापमान की इकाई। मोल (mol) :   पदार्थ की मात्रा की इकाई। कैंडेला (cd) :   चमकदार तीव्रता की इकाई।      SI प्रणाली में दो पूरक मात्रक  रेडियन (radian) जिसका उपयोग समतल कोण  और स्टेरेडियन (st...
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3‑पॉइंट स्टार्टर   DC शंट मोटर का 3‑पॉइंट स्टार्टर के साथ कनेक्शन – हिंदी नोट्स 1. परिचय DC शंट मोटर की स्टार्टिंग पर आर्मेचर में बैक EMF न होने के कारण करंट बहुत अधिक खींचती है। इसे नियंत्रित करने के लिए 3‑पॉइंट स्टार्टर में क्रमिक रेजिस्टेंस लगाई जाती है, जो सुरक्षात्मक नियंत्रण प्रदान करती है। 2. मुख्य टर्मिनल्स और अवयव टर्मिनल कनेक्शन L +V (DC पॉजिटिव सप्लाई) F फ़ील्ड (Field) विंडिंग का एक सिरा A आर्मेचर (Armature) का एक सिरा स्टार्टर के अवयव: स्टार्टिंग रेजिस्टेंस (क्रमिक सेक्शन) नो-वोल्टेज कॉइल (NVC) ओवरलोड रिलीज़ स्टार्टर हैंडल एवं स्टड्स 3. कनेक्शन चरणबद्ध विधि सप्लाई इनपुट पॉजिटिव (+V) को स्टार्टर के L टर्मिनल से जोड़ें। नेगेटिव (–V) सीधा मोटर के दूसरे छोर से कनेक्ट करें। फ़ील्ड विंडिंग मोटर की फ़ील्ड कॉइल का एक सिरा F टर्मिनल पर लगाएँ। दूसरा सिरा –V से जोड़ें। आर्मेचर वाइंडिंग मोटर के आर्मेचर का एक सिरा A टर्मिनल से कनेक्ट करें। दूसरा सिरा –V से जोड़ दें। स्टार्टर ऑपरेशन हैंडल को OFF से क...
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2‑Point Starter DC सीरीज मोटर को स्टार्टर्स से कनेक्शन कैसे करें नीचे दिया गया चित्र एक दो‑पॉइंट (2‑Point) स्टार्टर में DC सीरीज मोटर के कनेक्शन को दर्शाता है। 1. परिचय DC सीरीज मोटर में फ़ील्ड विंडिंग और आर्मेचर एक ही धाराएँ में जुड़े होते हैं। जब मोटर स्टार्ट होती है, तो न्यून चुम्बकीय प्रत्यावर्ती प्रतिक्रिया के कारण आरंभिक करंट अत्यधिक बढ़ जाता है। इसे सीमित करने हेतु स्टार्टिंग रेजिस्टेंस स्टार्टर में सीरीज में डाली जाती है। 2. दो‑पॉइंट स्टार्टर (2‑Point Starter) टर्मिनल्स: L (Line): पॉजिटिव स्रोत से इनकमिंग लीड F (Field): सीरीज में जुड़े फ़ील्ड+आर्मेचर कंबाइंड लीड मुख्य अवयव: कई चरणों में विभाजित स्टार्टिंग रेजिस्टेंस नो-वोल्टेज कॉयल (NVC)  — आपूर्ति कटने पर हैंडल को OFF में खींच लेता है ओवरलोड रिलीज़  — अधिक करंट पर सर्किट को ट्रिप करता है स्टार्टर हैंडल  — OFF से RUN तक रेजिस्टेंस घटाने हेतु 3. कनेक्शन के चरण सप्लाई कनेक्शन +V को L टर्मिनल से जोड़ें। –V (नेगेटिव) को मोटर के दूसरे छोर से डायरेक्ट जोड़ें। स्ट...